शिव ध्यान मंत्र | Shiv Dhyan Mantra : महादेव की कृपा

हम सभी देवी-देवताओं की पूजा अपनी भक्ति और श्रद्धा से करते हैं और उसका फल भी हमे अच्छा प्राप्त होता है लेकिन भक्ति का एक और रूप होता है वह है शिव ध्यान मंत्र, जिसे हम अपने जीवन में अपनाकर अपने इष्ट देव के सबसे करीब हो सकते हैं। भगवान शिव का मंत्र जाप करने से हम महादेव की असीम कृपा प्राप्त करते हैं और हमारे मन को एक अलग ही सुख शांति का अनुभव होता है। 

शिव मंत्र का प्रमुख उद्देश्य भगवान शिव की उपासना के माध्यम से मन को शांत करना और उसे आत्मिक ऊर्जा के साथ भर देना है। इस मंत्र का जप करने से ध्यान करने वाले का मन निरंतर शिव में लीन रहता है और उसे आत्मा के साथ संयोग का अनुभव होता है।

करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा…
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं ॥

विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व…
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥

अर्थ : हे शिव भगवान, आप अनंत दयालुता के सागर हैं। कृपया मेरे हाथों और पैरों, शब्दों, मेरी आँखों, कानों और दिमाग से उत्पन्न हुई सभी गलतियों और मेरे कर्मों को, जो जाने या अज्ञात में किए गए हैं, क्षमा करें। आपकी कृपा से मेरा जीवन परिपूर्ण हो। धन्यवाद।

ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं…
रत्नाकल्पोज्ज्चलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।

पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं…
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥

अर्थ : जिनकी श्वेत कान्ति चाँदी के पर्वत की भांति है, जो सुंदर चन्द्रमा को आभूषण मानते हैं, जिनके शरीर की चमक रत्नमय अलंकार से है, उनके हाथ में परशु और मृग, वर और अभय की मूद्राएं हैं, जो आनंदित हैं, पद्मासन में आराम करते हैं, जिनके चारों ओर देवताओं का समूह स्तुति करता है, जो बाघ की त्वचा पहनते हैं, जो विश्व के आदि, जगत की उत्पत्ति के बीज और सभी भयों को नष्ट करने वाले हैं, जिनके पाँच मुख और तीन नेत्र हैं, उन महेश्वर का प्रतिदिन ध्यान करें।

शिव ध्यान मंत्र का जाप करने की विधि 

  • स्नान – इस मंत्र का जाप शुरू करने से पहले आप स्नान कर ले और साफ वस्त्र पहन लें। 
  • ठंढा पानी – ध्यान रहे गर्म मौसम में ठंढे पानी से स्नान करें क्युकि शीतल जल हमारे मन और शरीर को तरोताजा कर देता है जिससे ध्यान करने में आसानी होती है। 
  • पूजा आसन – स्नान के बाद आप जिस भी स्थान पर मंदिर हो या अपने घर वहा पर आसन बिछाकर बैठ जाये।
  • अभिषेक – शिव जी का दूध, गंगाजल  और फूलों से मंत्र का उच्चारण करते हुए अभिषेक करें। 
  • अर्पित करें – ध्यान से पहले आप शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, रोली, अक्षत, कपूर इत्यादि चढ़ाये। 
  • दीपक जलाये – गाय के देशी घी से दीपक जलाये और हाथ जोड़कर महादेव को प्रणाम करें। 
  • ध्यान मुद्रा – प्रणाम करके आप ध्यान मुद्रा में बैठ जाये और सच्ची श्रद्धा से ध्यान शुरू करे। 
  • मंत्रों का उच्चारण – ध्यान करते वक्त आप शिव जी के मंत्रो का उच्चारण आप चाहे तो  जोर से बोलकर, मन में बोलकर जिस तरह आपको सुविधा लगे वैसे शिव ध्यान कर सकते हैं। 
  • आरती – जाप खत्म करके आप आरती करके पूजा को समाप्त करे। 
  • आशीर्वाद – अब आप भगवान शिव से अपने मन की शांति के लिए आशीर्वाद मांगे। 

इस प्रकार, शिव ध्यान मंत्र ध्यान और आध्यात्मिक साधना में एक महत्वपूर्ण और प्रभावी उपाय है जो आत्मिक विकास और शांति की प्राप्ति में सहायक होता है।

इस मंत्र के जाप करने से अनेक लाभ होते है।  

  • एकाग्रता – जाप करने से आपका मन एकाग्रचित्त हो जाता है जिससे आपको कोई भी कार्य करने में आसानी होती है। 
  • मन की शांति – जाप करने से मन की शांति प्राप्त होती है और आनंद का अनुभव होता है। 
  • शिव जी की कृपा – मंत्र का जाप करने से शिव जी की कृपा सदा आप पर बनी रहती है और वे अपने भक्तों के सदा करीब रहते हैं। 
  • कार्य करने की क्षमता – मंत्र का जाप करने से  आप के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। 
  • स्वास्थ्य – इस मंत्र के जाप से आप शारीरिक और मानसिक रूप से सदैव स्वस्थ्य रहते हैं। 
  • सकारात्मक शक्ति – मंत्र के जाप से आप सकारात्मक शक्ति से ऊर्जावान रहते है। 
  • प्रेम का अनुभ – जाप करने से आप लोगों के प्रति प्रेम का भाव रखेंगे किसी से घृणा की भावना नहीं होगी।

FAQ

 मंत्र का जाप किसे करना चाहिए ?

इस मंत्र का जाप जो मानसिक रूप से अशांत रहते हैं उन्हें करना चाहिए।

मंत्र का जाप आप कब कर सकते हैं ?

क्या इस मंत्र को किसी विशेष समय या स्थान पर जाप करना चाहिए?

इस ध्यान मंत्र का जाप कितनी बार किया जाना चाहिए ?

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