यह मंत्र, एक प्राचीन और पवित्र मंत्र है जिसको की संस्कृत भाषा में लिखा गया है, इसमें भगवान शिव की महिमा और शक्ति को के बारे में बताया गया है। इस शिव गायत्री मंत्र संस्कृत में, भगवान शिव की सर्वोच्चता और शक्ति की प्राप्ति के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
यह शिव मंत्र, आदि और अंत को दर्शाता है, जो सृष्टि के निर्माता हैं। इस मंत्र का जाप करने से भक्तों के जीवन में शांति, स्थिरता, और आनंद का अनुभव होता है और वह अपने जीवन में ईश्वर के प्रति भक्ति और समर्पण का अनुभव करता है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
शिव गायत्री मंत्र करने के लिए निम्नलिखित विधि है
- साफ़ सफाई: सबसे पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध करें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- ध्यान: ध्यान के लिए एक शांत और सुकून भरे स्थान का चयन करें, जहाँ आप ध्यान में बैठ सकते हैं।
- आसन: एक सुखद आसन में बैठें । अपनी आंखें बंद करें और अपने शरीर और मन को शांत करने के लिए कुछ गहरी सांसें लें।
- ध्यान केंद्रित: भगवान शिव पर ध्यान केंद्रित करें, उनकी दिव्य रूप को चित्रित करें, जो प्रकाशमय और शांति से भरा हुआ है।
- मंत्र जाप: भक्ति और ध्यान के साथ मंत्र का जप करें।
- जप करते समय एक माला (प्रार्थना माला) का उपयोग करें ताकि आप मंत्र की संख्या को गिन सकें। माला सामान्यत: 108 मोतियों से बनी होती है।
समाप्ति (समाप्ति): जाप पूरा होने के बाद, भगवान शिव के प्रति आभार और श्रद्धांजलि अर्पित करें। - प्रसाद वितरण : प्रसाद को दूसरों के साथ बाँटने के साथ समाप्त करें, अपने प्राप्त दिव्य आशीर्वादों को साझा करें।
नोट : ऊपर बताया गया विधि एक नॉर्मल विधि है। Shiv Mantra in Sanskrit अपने क्षेत्रीय तरीके से भी लोग करते हैं।
शिव गायत्री मंत्र के जाप के लाभ
- मानसिक शांति: मंत्र का जाप करने से मानसिक चिंता और उत्साह में सुधार होता है।
- ध्यान और एकाग्रता: इस मंत्र के जाप से ध्यान और मन की एकाग्रता में सुधार होता है।
- आत्मा के संयम: इस मंत्र के द्वारा आत्मा को संयमित बनाए रखने में मदद मिलती है।
- आत्मा के पुनर्जन्म की शक्ति: मंत्र का जाप करने से आत्मा को पुनर्जन्म की शक्ति मिलती है।
- शिव भक्ति में वृद्धि: इस मंत्र का जाप करने से शिव भक्ति में वृद्धि होती है और भक्ति रस का अनुभव होता है।
- रोगनिवारण: नियमित जाप करने से शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण होता है।
- कर्मशक्ति में सुधार: मंत्र के जाप से कर्मशक्ति में वृद्धि होती है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- आत्मज्ञान: मंत्र के जाप से आत्मज्ञान में सुधार होता है और व्यक्ति अपने आत्मा को समझता है।
- भगवान शिव की कृपा: नियमित जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को उनके आशीर्वाद से योग्यता मिलती है।
इसके अलावा भी आनेक लाभ मिलता है। ये सभी लाभ अलग -अलग शिव भक्तो के द्वारा बताया गया है। आपको अपने लाभ कर्म और विश्वास पर निर्भर करता है।
FAQ
शिव गायत्री मंत्र क्या है?
“ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।” है। इसे शिव के आराधना में जपा जाता है।
गायत्री मंत्र का उद्देश्य क्या है ?
शिव गायत्री मंत्र का उद्देश्य शिव जी की आराधना और मोक्ष की प्राप्ति के लिए आत्मा को पवित्र करना है।
इस गायत्री मंत्र को कब जप करें ?
सुबह और शाम के समय जप करना शुभ माना जाता है।
इस मंत्र को कितने दिनों तक जपना चाहिए?
हम इस मंत्र को नियमित रूप से 45 दिन तक जपने से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
क्या इस मंत्र को व्रत के दौरान जपा जा सकता है ?
हाँ, इस गायत्री मंत्र को व्रत के दौरान जपना शिव भक्ति में वृद्धि कर सकता है और व्रत को और भी प्रभावशाली बना सकता है।