शिव पूजा मंत्र | Shiv Puja Mantra:

शिव पूजा मंत्र का महत्व प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म में उच्च माना जाता रहा है। भगवान शिव की पूजा का उद्देश्य सभी भक्तो को उनके आद्यात्मिक शक्ति और कृपा को प्राप्त करने का साधन होता है। Shiv puja mantra का महत्वपूर्ण अंश है “ॐ नमः शिवाय”। यह मंत्र भगवान शिव के आदिमंत्र में से एक है और इसका जाप करने से भक्त को शिव की कृपा प्राप्त होती है।

शिव मंत्र के अलावा, “ऊं नमो भगवते रुद्राय” और “ॐ पार्वतीपतये नम:” जैसे अन्य मंत्र भी शिव की पूजा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन मंत्रों का जाप करने से भक्त को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ होता है।

शिव प्रार्थना मंत्र

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

शिव नमस्कार मंत्र

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम ॥

श‍िव नामावली मंत्र

श्री शिवाय नम:
श्री शंकराय नम:
श्री महेश्वराय नम:
श्री सांबसदाशिवाय नम:
श्री रुद्राय नम:
ॐ पार्वतीपतये नम:
ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:

शिव आवाहन मंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ॥

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ॥

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ॥

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ॥

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ॥

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ॥

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ॥

शिव स्तुति मंत्र

ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतए
अंबिका पतए उमा पतए पशूपतए नमो नमः
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्

ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम
तत्पुरुषाय विद्महे वागविशुद्धाय धिमहे तन्नो शिव प्रचोदयात्
महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धिमहे तन्नों शिव प्रचोदयात्

नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय
त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी

रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदशिवाय श्रीमान महादेवाय नमः

शिव मूल मंत्र

ॐ नमः शिवाय॥

रूद्र मंत्र

ॐ नमो भगवते रूद्राय ॥

रूद्र गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय
धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव पूजा करने की विधि के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:

  1. पूजा स्थल की तैयारी: एक साफ़ और शुद्ध स्थान का चयन करें जहाँ आप पूजा करना चाहते हैं। यदि संभव हो, तो स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. पूजा सामग्री की तैयारी: शिवलिंग, बेल पत्र, धूप, दीपक, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल, नैवेद्य, और फल-फूल की सामग्री को तैयार करें।
  3. पूजा का आरंभ: शिवलिंग को साफ़ करें और उस पर जल चढ़ाएं। बेल पत्र, चंदन, कुमकुम, और अक्षत का उपयोग करके शिवलिंग को सजाएं।
  4. मंत्र जाप: पूजा मंत्र जैसे “ॐ नमः शिवाय” या “ऊं नमो भगवते रुद्राय” का जाप करें। मंत्र का ध्यानपूर्वक जाप करें और भगवान शिव की आराधना करें।
  5. पूजा के अन्य कदम: धूप, दीपक, और अगरबत्ती को जलाएं। फल-फूल को भगवान शिव को अर्पित करें।
  6. प्रसाद: प्रसाद को लोगो को बाटे।

इस प्रकार, शिव पूजा की विधि का पालन करके भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। आप shiv shabar mantra, shiv beej mantra का भी जाप कर सकते है।

शिव पूजा मंत्र का जाप करने के लाभ

  • मानसिक शांति: जाप करने से मानसिक चिंताओं और तनाव को कम किया जा सकता है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य: इस मंत्र के जाप से शारीरिक रोगों का उपचार होता है और शारीरिक ताकत बढ़ती है।
  • आध्यात्मिक विकास: जाप करने से आध्यात्मिक विकास होता है और व्यक्ति की आत्मा को शुद्धि मिलती है।
  • परिवारिक समृद्धि: जाप से परिवार में सुख और समृद्धि की वृद्धि होती है।
  • भक्ति और श्रद्धा की वृद्धि: इस मंत्र के जाप से भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है, जिससे भगवान के प्रति गहरी भावना विकसित होती है।
  • अन्य सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद: जाप से अन्य सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती है।

FAQ

इस पूजा मंत्र का उद्देश्य क्या है?

इसका उद्देश्य भक्त को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।

क्या इसका जाप करने से केवल मनोवैज्ञानिक लाभ होता है?

क्या इसको बिना गुरु के जपा जा सकता है?

इसके जाप के लिए किसी विशेष स्थान या समय की आवश्यकता होती है?

इसके जाप से क्या स्वप्न दर्शन होते हैं?

Spread the love

Leave a Comment