शिव स्तुति संस्कृत में | Shiv stuti in Sanskrit : पौराणिक पाठ

शिव स्तुति संस्कृत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पौराणिक पाठ है जो भगवान शिव की महिमा और महत्त्व को व्यक्त करता है। इस स्तुति को भगवान शिव को समर्पित किया गया है और इसे सच्चे भक्त के द्वारा पढ़ा जाता है ताकि उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो। यह पाठ भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।

शिव स्तुति ग्रंथों और शास्त्रों में मिलते हैं। जो अनेक ग्रंथों में शिव स्तुति को अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत किया गया है, जैसे कि शिव महिम्नस्तोत्र, शिव ताण्डव स्तोत्र, रुद्राष्टकम, और महामृत्युंजय मंत्र। इन सभी रूपों में, भगवान शिव की महिमा, उनकी शक्ति, और उनके भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। Shiv Stuti pdf को आप अपने मोबाइल में डाउनलोड भी कर सकते है।

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम॥

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्॥

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्॥

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप॥

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्॥

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड॥

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम॥

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्॥

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:॥

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि॥

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन॥

Shiv Stuti को संस्कृत में करने की विधि के लिए निम्नलिखित हैं:

  • शुद्धि की अनिवार्यता: इसे करने से पहले, अपने शरीर, मन और आत्मा को साफ़ रखे।
  • स्थिति निश्चित करें: इसको शांत, ध्यानित और धार्मिक वातावरण में करें।
  • उपयुक्त स्थान: इसका पाठ एक शांत और शुद्ध स्थान पर करें, जो स्थिर और अशोक हो।
  • ध्यान और समर्पण: पाठ करते समय शिव की ध्यान और समर्पण अपने मन में रखें।
  • आदर्श समय: पाठ सुबह या सायंकाल में करना उत्तम माना जाता है।
  • मंत्रों की जप: मंत्रों को स्थिरता और ध्यान से पढ़ें।
  • ध्यान : मंत्रों के पाठ के समय मन को ध्यान में रखें, और अपनी भक्ति और समर्पण का अभ्यास करें।
  • पूजन: इसके बाद, भगवान शिव की मूर्ति या फोटो को चादर, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजित करें।
  • ध्यान और आशीर्वाद: अंत में, भगवान शिव के ध्यान में रहें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

इन निर्देशों के साथ, पाठ करने से शिव के आशीर्वाद को प्राप्त किया जा सकता है।

शिव स्तुति संस्कृत में करने के लाभों का विवरण:

  • मानसिक शांति: इसको करने से मानसिक चंचलता कम होती है और मन की शांति मिलती है।
  • आत्मा की उन्नति: इससे आत्मा की उन्नति होती है और आत्मिक विकास होता है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य: इसको करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • ध्यान और धारणा की शक्ति: ध्यान और धारणा की शक्ति में वृद्धि होती है।
  • कर्मयोग का मार्ग: कर्मयोग का मार्ग स्पष्ट होता है और कर्म करने की भावना में समर्थता बढ़ती है।
  • आत्मीय अनुभव: आत्मीय अनुभव मिलता है और अध्यात्मिक जीवन में विकास होता है।
  • शिव कृपा: भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
  • मानवीय संबंध: मानवीय संबंध मजबूत होते हैं और सभी के प्रति सहानुभूति बढ़ती है।
  • अध्यात्मिक संबंध: अध्यात्मिक संबंध मजबूत होते हैं और भगवान के साथ आत्मीय संबंध बढ़ता है।
  • उत्कृष्ट जीवन: जीवन में उत्कृष्टता और आनंद की भावना आती है।
  • रिंगटोन: Shiv Stuti Ringtone में भी उपलब्ध है जिसको की आप अपने मोबाइल रिंगटोन लगा सकते है।

FAQ

Shiv Stuti का पाठ कितने दिन तक करना चाहिए?

पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इससे मन को शांति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

Shiv Stuti का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

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